Poem

प्रार्थना (आत्मा की आँखें) / डी० एच० लारेंस

रामधारी सिंह दिनकर

मेरे पाँव के पास चाँदनी बिछाओ भगवान !
दूज के चाँद पर मुझे खड़ा करो
किसी महाराजा के समान ।

टखने डूबे हों चाँदनी में,
मेरे मोजे मुलायम,चमकदार हों ;
और मेरे मस्तक पर
चाँदनी की झरती फुहार हो ।

शीतलता पर इतराऊँ, चमक पर मचलूँ
चाँदनी में तैरता हुआ मंजिल की ओर चलूँ ।

क्योंकि सूरज काल हो गया है ।
उसका चेहर शेर के समान लाल हो गया है ।

अंग्रेज़ी भाषा से अनुवाद : रामधारी सिंह ‘दिनकर’

रामधारी सिंह दिनकर

Author Bio

रामधारी सिंह 'दिनकर' हिन्दी के एक प्रमुख लेखक, कवि व निबन्धकार थे। वे आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं। राष्ट्रवाद अथवा राष्ट्रीयता को

More

This post views is 21

Post Topics

Total Posts

403 Published Posts